Friday 15 May 2015

VIDEO: 7 लाख रुपए में बिक रहा है ये 1 रुपए का नोट, जानें क्या है खासियत


VIDEO: 7 लाख रुपए में बिक रहा है ये 1 रुपए का नोट, जानें क्या है खासियत


नई दिल्ली. 20 साल पहले भारतीय सरकार ने अपनी करंसी नोट एक रुपया को बंद कर दिया था। अब एक जनवरी 2015 से इसकी छपाई दोबारा शुरू हो गई है। कुछ दिनों में नया नोट आपकी जेब में होगा। लेकिन, पुराने नोट अभी खत्म नहीं हुए हैं। एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक रुपए का नोट बिक रहा है। जिस साल का आपको नोट चाहिए वो आप कुछ रुपए देकर खरीद सकते हैं। लेकिन, इनमें एक नोट ऐसा भी है जो आजादी से पहले का है और उसकी कीमत 7 लाख रुपए है।
क्या है इसकी खासियत
7 लाख रुपए में बिकने वाले एक रुपए के नोट की खासियत ये है कि आजादी से पहले का ये एकमात्र नोट है, जिस पर उस समय के गवर्नर जे डब्ल्यू केली के साइन हैं। 80 साल पुराना इस नोट को ब्रिटिश इंडिया की ओर से 1935 में जारी किया गया था।
1949 के नोट के लिए देने होंगे 6 हजार रुपए

इसी तरह साल 1949 का एक रुपए का नोट 6 हजार रुपए में है। इसमें के आर मेनन के दस्तखत हैं। ऐसा नहीं कि ईबे में हर नोट इतने महंगे ही हैं, कुछ नोट ऐसे भी हैं जो कम कीमत में भी मिल रहे हैं। 1966 का एक रुपए का एक नोट 45 रुपए में भी उपलब्ध है। इसी तरह 1957 का एक नोट 57 रुपए में मिल रहा है।
नोटों के बंडल भी हैं उपलब्ध

ऐसा नहीं कि ईबे के इस पेज पर सिर्फ एक रुपए के एक-एक नोट हैं। बल्कि कुछ नोटों के बंडल भी यहां उपलब्ध हैं। साल 1949, 1957 और 1964 के 59 नोटों का बंडल के दाम 34,999 रुपए है। वहीं, 1957 का एक रुपए का एक बंडल 15 हजार रुपए में भी उपलब्ध है। साल 1968 का एक रुपए का एक बंडल 5,500 रुपए का है, खास बात यह है कि इसमें एक नोट 786 नंबर का भी है।
घर बैठे मिलेंगे नोट
ज्यादातर नोटों के ऑर्डर की शिपिंग फ्री है, जबकि कुछ में 90 रुपए तक के शिपिंग चार्जेज लग रहा है। हालांकि, इन नोटों को खरीदने के लिए आपको ऑनलाइन ही भुगतान करना पड़ेगा, इसमें कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन नहीं है।

Top 10: Tips For Better Sex


Women are cyclic creatures, and her sex drive will vary depending on her hormones and what’s going on in her life. Sometimes it takes a bit longer to get her hot and the same-old song and dance may not be enough. This applies to you too.
Therefore, it's important to add a few more stimulating aspects to your sex life to keep things interesting.
Here are 10 tips for better sex, which should keep the two of you hot for some time to come.

Number 10

Blindfold her

Sexual pleasure has many dimensions, but the most important sexual organ we have is our brain. When one sense is hindered, our other senses — via the brain — clamor to compensate. For example, a deaf person has increased sensory awareness — sight, smell, touch, and vibrations. For No. 10 entry on our 10 tips for better sex guide, we're telling you that you can tap into this innate ability of ours and use it to your advantage:Blindfolding your partner increases her sensory awareness. She doesn’t know where you are or what you are going to do next. This creates anticipation for better sex — the tease. Tease her mercilessly with sensory objects, such as a feather or your tongue. Start off softly, as this excites her nerve endings and makes them far more sensitive. Be careful not to overstimulate the nerve endings, however, because after a while the neurons stop firing with such intensity and the sensation becomes null and void.
Related: The Essential Tips For Going Down On Her

Number 9

Give her instructions

After a while you may think you know how to please your partner in every way, but this is very rarely true. There is always something you haven’t tried, and there is bound to be something one of you always does that could be done differently.
To combat this for better sex, have a lesson session in which you don’t think you know it all, and are at each other's mercy as teacher. Talk about things you haven’t tried, but would like to, then choose one suggestion from each partner, and get down and dirty. We often get caught thinking we know what our partners like, and after a while it becomes "the way it’s done." Lose this myth and put yourself in the student's chair for a while for better sex you won't regret.

Number 8

Massage

Sensual touch is one of the most highly relaxing and sexy things you can do for your partner, which is why it makes it onto our 10 tips for better sex list. Our bodies are almost without exception tense in some area, if not many areas. This hinders our energy flow — including sexual energy flow. Imagine a car that has a clogged fuel filter: the fuel (our energy) can’t get to where it needs to go quickly and smoothly, and the car performs inefficiently and ineffectively.
A relaxing sensual massage can unlock her body to some very intense orgasms and much better sex in the end. The ability to relax your partner in this way should be high on your list of skills to master. The same goes for her: The difference between a deeply relaxing massage and a sensual massage is in the manner of touch — you don’t want to relax her too deeply because she will probably fall straight to sleep.
Our 10 tips for better sex get even more exciting...

भारतीय कम्‍प्‍यूटर्स पर खतरनाक 'बायोआजीह' वायरस का हमला



नई दिल्ली: भारतीय साइबर क्षेत्र पर एक बेहद खतरनाक कंप्यूटर वायरस ने हमला बोल दिया है। इसकी पहचान 'बायोआजीह' के तौर पर की गई है। देश में साइबर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सीईआरटी-इन) ने इस बारे में इंटरनेट यूजर्स को आगाह किया है। उसका कहना है, "बायोआजीह वायरस बेहद खतरनाक है। यह ईमेल से यूजर्स का निजी डॉटा चुरा या उसमें गलत तरीके से बदलाव कर सकता है।"
पांच फर्जी नाम से है सक्रिय
सीईआरटी-इन के मुताबिक, "इस वायरस की पहचान बेहद मुश्किल है। क्योंकि यह पांच नामों से सक्रिय होकर अपनी पहचान छुपाने में सक्षम है। यह इंटरनेट पर ऐसे कमांड देने में सक्षम है, जिससे यूजर्स का डॉटा खुद-ब-खुद अपलोड और डाउनलोड हो जाएगा। इस प्रकार यह अलग फाइल भी बना लेगा।" एजेंसी के अनुसार कंप्यूटर सिस्टम पर इसका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है

फिशिंग ईमेल से हमला
साइबर सुरक्षा एजेंसी ने इंटरनेट उपभोक्ताओं को आगाह किया है कि यह वायरस फिशिंग ईमेल (ऐसी ईमेल जिनकी अटैच फाइलें वायरस से संक्रमित हैं।) से हमला बोल रहा है। इस तरह की ईमेल की अटैच फाइलों को खोलते ही यूजर्स का सिस्टम वायरस के प्रभाव में आ जाता है जो उपभोक्ता के रिमोट एक्सेस ट्रोजन (आरएटी) यानी माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के सुरक्षा कवच को तहस-नहस कर देता है।
उन्नत तकनीक से लैस
सीईआरटी-इन का कहना है कि यह वायरस कई तरीके की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपनी पहचान छुपाने में सक्षम है। उन्नत तकनीक से लैस होने के कारण इसके कमांड और कंट्रोल सर्वर के बारे में जानकारी हासिल करना मुश्किल है। इससे इसके सर्वर के स्थान का पता चल पाना कठिन है।
उपभोक्ता रहे सावधान
सीईआरटी-इन ने सलाह दी है कि बायोआजीह के तरह फर्जी नाम वाली संदिग्ध ईमेल को खोलने से पहले उपभोक्ता उसकी पहचान की तलाश सुनिश्चित कर लें। उन पर क्लिक करने से बचें। साथ ही अविश्वसनीय वेबसाइटों पर जाने से परहेज करें। इसी प्रकार बगैर उचित उपाय के अटैच फाइल वाली ईमेल को न खोलें

शशि कपूर को 'टैक्सी' क्यों कहते थे राज कपूर


    शशि कपूर को 'टैक्सी' क्यों कहते थे राज कपूर

शशि कपूर

"घर जाओ", शशि कपूर ने मुझे कहा और अपना पीआर संभालने वाले गोपाल पांडे की ओर मुड़े, "मुंबई पहुंचो और इन्हें बढ़िया शाकाहारी खाना खिलाओ."
हम कुछ पत्रकार थे जो शशिकपूर की एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान महाबलेश्वर/पचगनी में रुके थे और वहां के पारसी होटल का खाना शाकाहारियों के लिए नहीं था.
शशि कपूर की बीवी जेनिफ़र केन्डाल भी शाकाहारी थीं, इसलिए शायद शशि कपूर मेरी दिक्क़त समझ गए थे.
किसी मज़ेदार आउटडोर शूट पर शशिकपूर हम कुछ लोगों को साथ ले जाना पसंद करते थे. इनमें अक़्सर उनके दो-एक ख़ास दोस्त भी साथ होते थे.
इन दौरों के बीच शशि हममें से एक जैसे हो जाते. वह खाने के बाद महाबलेश्वर झील की ओर टहलने निकलते.

'चेहरा ही बिकता है'

शशि कपूर, शबाना आज़मी

जब तक वह सक्रिय रहे तब तक वह, मोटे होने की कपूरी बीमारी से, जेनिफ़र की भोजन योजना का पालन कर और खाने के बाद टहल कर लड़ते रहे. उस पीढ़ी में जिम जाने का चलन नहीं था.
जब हम विजय भट्ट की फ़िल्म हीरा और पत्थर की शूटिंग में जूनागढ़ गए तो वह अपनी सह-कलाकार शबाना आज़मी को साथ लेकर नज़दीक के एक थिएटर में हिंदी फ़िल्म देखने पहुंच गए.
जल्द ही दर्शकों को पता चल गया कि शशि कपूर और शबाना आज़मी थिएटर में हैं और फिर भीड़ को काबू करना मुश्किल हो गया. शशि ने तुरंत थिएटर के गेट पर एक कार बुलवाई और शबाना और मुझे (उस दल में हम दो ही महिलाएं थीं) लेकर, अपने मुंह को हाथ से ढके, कार में बैठ गए.
शशि कपूर, शबाना आज़मी, फ़कीरा

यह उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी - एक भद्र पुरुष होने के नाते उन्होंने अपने साथ मौजूद महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी.
उसकी दूसरी प्रतिक्रिया ख़ास शशिकपूर स्टाइल की थी. उनका मानना था कि एक अभिनेता का चेहरा ही उसका भाग्य बनाता है.
इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति में जब कोई पत्थर उनकी ओर फेंका जा सकता हो या कोई दुर्घटना हो सकती हो वह हमेशा अपने चेहरे को बचाते थे.
उन्होंने एक बार मुझे बताया, "यह मेरी स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है. मेरे हाथ ख़ुद ही मेरा चेहरा बचाने के लिए बढ़ जाते हैं. मेरा सारा धंधा इसी की वजह से जो है."

अपने मन का काम

सत्तर और 80 के दशक में तो शशि कपूर इतने व्यस्त हो गए थे कि उनसे मिलना ही संभव नहीं होता था. वह एक दिन में चार-पांच शिफ़्ट में काम करते थे और चार-पांच फ़िल्मों की एक से दूसरी लोकेशन में भागते रहते थे और हर फिल्म को कुछ घंटे ही देते थे.
शशि कपूर, ज़ीनत अमान, सत्यम शिवम सुंदरम

उनके बड़े भाई राजकपूर जो, सत्यम शिवम सुंदरम (1978), बना रहे थे इससे इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने शशि को 'टैक्सी' कहना शुरू कर दिया था - कोई भी उन्हें किराए पर ले सकता था और उनका मीटर चलना शुरू हो जाता था.
ख़ास बात यह है कि उन्होंने अपना पैसा पहले से तय हिट फ़िल्मों पर नहीं लगाया जो कि वह आसानी से कर सकते थे. इसके बजाय उन्होंने रस्किन बॉंड के 'फ़्लाइट ऑफ़ पिजन्स' उपन्यास को उठाया और कला फ़िल्मों के निर्देशक को इस पर एक फ़िल्म, जुनून, बनाने को कहा.
उन्होंने इसके लिए बहुत अच्छे लेकिन गैर-व्यावसायिक कलाकारों को लिया और उन्हें लेकर एक महंगी फ़िल्म बनाने के लिए लखनऊ शूटिंग के लिए चले गए.
यह एक बड़ा वित्तीय जोखिम था जिसमें उन्हें नुक़सान ही हुआ. लेकिन इससे बेपरवाह शशि कपूर ने अपनी पसंद के सिनेमा का समर्थन करना जारी रखा.

जुनून

उसी उत्साह से उन्होंने अपना बहुत सारा पैसा (करीब 1978 में) पृथ्वी थिएटर में लगाया जो उनके पिता पृथ्वीराज कपूर को एक श्रद्धांजलि था.

शबाना और जेनिफ़र

जुनून कई मायनों में ऐतिहासिक फ़िल्म थी और सिर्फ़ इसके 19वीं सदी के कथ्य की वजह से नहीं. इसमें शशि कपूर की बीवी जेनिफ़र और उनकी लोकप्रिय जोड़ीदार शबाना आज़मी दोनों थीं.
दरअसल फ़कीरा (1976) जैसी हिट फ़िल्म के बाद शबाना आज़मी और शशि कपूर की जोड़ी इतनी मशहूर हो गई कि उन्होंने कोई आधा दर्जन फ़िल्में एक साथ की थीं.
उस समय के बहुत से पत्रकार याद करते हैं कि शबाना आज़मी के साथ शशि कपूर की दोस्ती की वजह से उनकी वैवाहिक ज़िंदगी में ख़लबली मच गई थी.
यह दरार इस कदर बढ़ गई थी कि शशिकपूर को इसे छुपाने के लिए यह मानना पड़ा कि जब तक जेनिफ़र ज़िंदा रहेंगी तब तक उनका शबाना से कुछ लेना-देना नहीं रहेगा.
और शशिकपूर ने 1984 में शबाना आज़मी से तब तक बात नहीं की जब तक कैंसर से जेनिफ़र की मौत नहीं हो गई.
यह ठीक ही हुआ कि उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पृथ्वी थिएटर में उनकी सारी पसंदीदा महिलाओं की उपस्थिति में दिया गया, भले ही देर से सही.
शशि कपूर, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

अपनी जवानी के दिनों में यह ख़ुशमिजाज़ अभिनेता सरकार की ओर से मान्यता मिलने और महिलाओं के आकर्षण का केंद्र होने पर शरारत से चहकता और मस्ती करता